भारतीय संविधान
संविधान (Constitution)
सभी के लिए बराबर कानुन को संविधान कहते हैं। देश और राज्य का शासन कैसे चलेगा उसको चलाने के लिए जिस किताब का नाम है उसे कहते हैं भारतीय संविधान । इस किताब में 22 Lesson है। इसके lesson को हमलोग भाग कहते हैं। इसमें कुछ Topic लिखे गए हैं जिसे अनुच्छेद कहते हैं। कुल अनुच्छेद 395 है।
भाग-1 संघ और राज्य क्षेत्र (Union and Its Terriotry)
( अनुच्छेद 1 - 4 )
अनुच्छेद 1 → भारत राज्यों का संघ (union)है अर्थात् इसके राज्य कभी-भी टुटकर अलग नहीं हो सकते हैं।
Confederal (परिसंघ) → परिसंघ उसे कहते हैं जिसमें छोटे-छोटे राज्य आपस में जुड़कर और अपनी थोड़ी-थोड़ी शक्तियाँ केन्द्र सरकार को देकर एक देश का निर्माण करती है। परिसंघ बहुत ही कमजोर होता है। इससे कोई भी देश आसानी से अलग हो जाते हैं।
Federation (संघ) → राज्य मिलकर एक देश का निर्माण करते हैं और हर राज्य अपनी कुछ शक्ति देश को दे देते हैं। और देश को कहते हैं कि आप इन शक्तियों का प्रयोग करें। इससे भी कोई भी राज्य अलग हो सकता है।
Union (संघ) → इसके राज्य कभी अलग नहीं हो सकते हैं।
अमेरिका एक Fedration है और भारत एक Union है।
अनुच्छेद-2 → संसद को यह अधिकार है कि भारत के बाहर कोई देश है तो उस भारत में मिला सकता है या किसी देश का कोई टुकड़ा है जो भारत में मिलना चाहता है उसे मिला सकते हैं। यानि अनुच्छेद 2 कहता है कि संसद राष्ट्रपति के पूर्व अनुमति (सूचना) पर किसी विदेशी राज्य को भारत में मिला सकती है। जैस- सिक्किम
सिक्किम (इसके लिए 35वाँ संशोधन 1974 में करके सिक्किम को सह राज्य बनाया गया था। इसके लिए संविधान मेंएक special अनुच्छेद-2(क) जोड़ा गया था। लेकिन फिर सिक्किम को 36वाँ संविधान संशोधन 16 मई, 1975 के द्वारा भारत का 22वाँ राज्य बनाया गया।)
अनुच्छेद- 3 → संसद राष्ट्रपति के पूर्व अनुमति से भारत के किसी भी राज्य को (बिना उसके अनुमति) नाम, सिमा, क्षेत्र में परिवर्तन कर सकती है।
जैसे -
MP → छत्तीसगढ़ (1 नवम्बर, 2000)
UP → उतराखंड (9 नवम्बर, 2000)
Bihar → झारखंड (15 नवम्बर, 2000)
अनुच्छेद-4 → जब संसद अनुच्छेद-2 का प्रयोग करेगी यानि किसी विदेशी राज्य को मिलाएगी या अनुच्छेद-3 का प्रयोग करेगी यानि किसी राज्य को तोड़ेगी तो उसके लिए राष्ट्रपति से किसी विशेष अनुमति को जरूरत नहीं है क्योंकि इसे अनुच्छेद-368 के बाहर रखा गया है (जिसको अनुच्छेद-368 में रख दिया जाता है उसमें राष्ट्रपति का हस्ताक्षर जरूरी है।)

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